भदोई हलवाई समाज उ.प्र |
इधर कई दिनों से मुझे लिखने की इच्छा प्रबल हो रही थी और संयोग से मुझे वेबसाइट खंगालने का मौका मिला मैंने सोचा कि अपनी हलवाई अथवा बनिया समाज के बारे में जरा और जानकारी प्राप्त करू, हो सकता है किसी और जगह मेरा मतलब है किसी और राज्य में अपनी इतनी ससक्त संगठन है भी या नहीं, और अगर है तो किस तरह के लोग उससे जुड़े हुए है अथवा समाज में अपनी कितनी पैठ बनाये हुए है ।
भदोई हलवाई समाज उ.प्र |
तब मैंने पाया कि तीन से चार साईट ऐसी है जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी न था, पर यह बिलकुल हो सकता है कि कुछ पाठकगन, इन साइटों के बारे में हो सकता है कि पहले से पता हो या यह भी हो सकता है कि उनमे से कुछ लोग व्यक्तिगत रूप से भी जानते हो ।
पहली साईट जो है वह अखिल भारतीय वैश्य हलवाई महासभा यह साईट में जाए (http://vaishyhalwai.com/)यह उत्तर प्रदेश,भदोई से पंजीकृत की गई है, यह साईट काफी लुभावनी भी है और मेरे ख़याल से इस साईट में हलवाई समाज की सबसे ज्यादा जानकारी इक्कठी की गई है, मैंने कुछ जानकारी कॉपी कर ली है या यु कहे कि चोरी की है पर चुकि मै पूरी तरह से चोर इस लिए भी नहीं कहलाऊंगा क्योंकि जहा से मैंने जानकारी इकट्ठी कि है उस संसथान (संगठन) का नाम भी उल्लेख कर रहा हू ।
इसके वावजूद अगर उन्हें इस बात से परेशानी या कोई शिकायत होगी तो मै यह पोस्ट अवश्य हटा लूँगा।
भदोई हलवाई समाज उ.प्र |
चन्द फोटो तथा उनके पिछले कुछ कार्यकर्मो कि कुछ फोटो मै इसमें पोस्ट कर रहा हू और कुछ जानकारिया जो हो सकता है हमारे पाठकगन के किसी काम आ जाय वह लिंक भी दे रहा हो जिसे दबाने से आप उस जानकारी अथवा उस साईट में जा सकते है ।
जैसा कि मैंने पहले भी कई बार कहा है हमारे समाज के उत्थान के लिए जो भी संभव हो मै करूँगा, और इसमें मुझे कोई गलती नहीं लगती फिर भी आप सभी की सुझाव मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है ।
दूसरी बात जैसा की श्री विजय कुमार गुप्ता जी अपने लेख (स्वजातीय जनगणना ) में लिखा है कि हम सब खुद को अलग अलग सब कास्ट जैसे रौनिहार, कानू,मध्यएशिया,साव,गुप्ता ,साहा इत्यादि के नाम से जाने जाते है जिसके कारण हम किसी एक प्लेटफोर्म में खुद को खड़ा नहीं कर पाते ।
परसों मुझे चाप्दानी से श्री विनय कुमार गुप्ता जी का फ़ोन आया और काफी लम्बी बाते होने के बात यह पता चला श्री विनय जी भी इससे एक मत है हम सभी को सब कुछ (सब कास्ट ) भूल कर खुद को अगर हलवाई बताये या हलवाई जाति ही समझे तो शायद हमारी बहुत सारी समस्याओ का हल खुद ब खुद निकल आयेगा ।
अन्यथा सिर्फ हमलोग अलग अलग संगठन ही बनाते रह जाएगे।
भदोई हलवाई समाज उ.प्र |
अब समस्या यह है कि भाई "बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन..?" क्योंकि कोई भदोई की संगठन है तो कोई रांची की संगठन है और तो और हमारे बंगाल में ही कितनी संगठन है, हमें खुद नहीं मालुम..... और सब के सब अपने लेबल पर तथस्थ खड़े है, मेरे विचार से भी अगर हम सभी संगठन को एक मंच पर लाने की अगर पुरजोर कोशिश करे तो बहुत संभव है कि आगे इसका परिणाम बहुत ही मधुर और सफल होगा ।
पर इसके लिए हमारे समाज के सभी वशिस्ट व्यक्तिगणों आगे आना होगा।
पता नहीं इन सभी बातो से आप सभी कितने संतुस्ट है पर सोचने में क्या जाता है .....
भदोई हलवाई समाज उ.प्र |
.
भदोई हलवाई समाज उ.प्र |
दूसरी साईट हलवाई सामाज डोट कॉम और साईट है ( http://halwaisamaj.com/)की है यह संगठन राची की है उसका भी मैंने लिंक दे दिया है अगर आप चाहे तो ओरेंज कलर की अंडर लाइन की हुई सब्दो को क्लिक करे तो यह साईट खुल
जाएगी ।
मै अगर अपनी तजुर्बा कहू तो मुझे बंगाल की पिचली (२०११) की मतदान की समय विल्कुल याद है मैंने देखा था, किसी एक धर्म (बंगाली) विशेष के पंथी के सुप्रीमो अर्थात (माता जी) के पास मैंने सभी राजनैतिक पार्टियों की सुप्रीम हस्तियों को उनके घर जाते देखा, और सभी पार्टिया उनके घर गई, सिर्फ इसलिए की अगर माता जी अपने भक्तो को एक बार बोल दे कि भाई इस पार्टी को वोट देना है, तो हो सकता है राजनैतिक गलियारे में परिवर्तन के काफी संभावना बढ जाए, राजनैतिक पार्टियों कि अपनी मजबूरी है, उन्हें हमेशा क्वानटीटी अर्थात संख्या से मतलब होती है । और अगर हम भी अपनी संख्या को ज्यादा से ज्यादा (जो कि है ) कर के दिखाए, तो यह बिलकुल संभव है कि हमारे आगे कि मार्ग (सामाजिक, राजनैतिक से जुड़ा ) बहुत ही सुगम हो जायेगा ।
पर जैसा कि हम सब जानते है यह मार्ग इतना भी आसान नहीं जितना कि हम सभी सोचते है, सभी संगठन कि अपनी शाख, है मंत्री है, महामंत्री है, मतलब "हम" है जिसको पार पाना कोई टेढ़ी खीर से कम नहीं ...।
पर अगर हम वाकई में अपनी स्वजातीय बंधुओ को हर प्रकार से मदद करने के लिए प्रतिबद्द है तो कही न कही से ही सही सुरुआत तो करनी पड़ेगी । तभी हम सभी स्वजितीय बंधुओ का उत्थान भी संभव है ।
मै अगर अपनी तजुर्बा कहू तो मुझे बंगाल की पिचली (२०११) की मतदान की समय विल्कुल याद है मैंने देखा था, किसी एक धर्म (बंगाली) विशेष के पंथी के सुप्रीमो अर्थात (माता जी) के पास मैंने सभी राजनैतिक पार्टियों की सुप्रीम हस्तियों को उनके घर जाते देखा, और सभी पार्टिया उनके घर गई, सिर्फ इसलिए की अगर माता जी अपने भक्तो को एक बार बोल दे कि भाई इस पार्टी को वोट देना है, तो हो सकता है राजनैतिक गलियारे में परिवर्तन के काफी संभावना बढ जाए, राजनैतिक पार्टियों कि अपनी मजबूरी है, उन्हें हमेशा क्वानटीटी अर्थात संख्या से मतलब होती है । और अगर हम भी अपनी संख्या को ज्यादा से ज्यादा (जो कि है ) कर के दिखाए, तो यह बिलकुल संभव है कि हमारे आगे कि मार्ग (सामाजिक, राजनैतिक से जुड़ा ) बहुत ही सुगम हो जायेगा ।
पर जैसा कि हम सब जानते है यह मार्ग इतना भी आसान नहीं जितना कि हम सभी सोचते है, सभी संगठन कि अपनी शाख, है मंत्री है, महामंत्री है, मतलब "हम" है जिसको पार पाना कोई टेढ़ी खीर से कम नहीं ...।
पर अगर हम वाकई में अपनी स्वजातीय बंधुओ को हर प्रकार से मदद करने के लिए प्रतिबद्द है तो कही न कही से ही सही सुरुआत तो करनी पड़ेगी । तभी हम सभी स्वजितीय बंधुओ का उत्थान भी संभव है ।
राची हलवाई समाज |
राची हलवाई समाज |
राची हलवाई समाज |
मै फिर एक बार आप सभी को अपने इस लेख के लिए आप सब की सुझाव या शिकायत को सर्वपरि ध्यान रक्खूँगा। इसके लिए आप मुझे मेरे ईमेल (bkhalwai@gmail.com) में लिख सकते है इससे मुझे काफी ख़ुशी होगी सच में ..।
राची हलवाई समाज |
विनय कुमार हलवाई