गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

धार्मिक स्थलों में स्वार्थी तत्व

तारकेश्वर मंदिर 
बाबा तारकनाथ 
आज (१६ अप्रैल )मै अपने सपरिवार तारकेश्वर मंदिर गया था जो कि पच्छिम बंगाल के हूगली जिले में स्तिथ है, आज छोटे भाई के लड़का एवं लड़की दोनों का मुंडन करवाना था यह मुझे बताने की जरुरत नहीं की  यह हुन्दुओ का एक बहुत ही पवित्र स्थल है।
नाइ के पास बाल कटवाना (तारकेश्वर)
यह मंदिर काफी पुरानी होने के कारण इनका इतिहास में अपना एक स्थान है, चुकि मेरा सपरिवार तारकेश्वर जाना बिलकुल एक व्यक्तिगत बात है, आप भी सोच रहे होंगे इसे ब्लॉग में लिखने जैसी कोई बात नहीं लेकिन मेरा लिखने की वजह साफ़ है, मै धर्म से एक हिन्दू हु, मुझे भी अपनी जाति तथा धर्म में गर्व है, पर कुछ बात तो मुझे लगाती है की लोगो को पता होगा, आज भी चंद लोगो की व्यक्तिगत  स्वार्थ वजह से हिन्दू धर्म बदनाम हो रही है ये लोग धर्म और आस्था का मुखौटा ओड़, और उनके नाम पर  यात्रीगन को लूटते है, और  इनकी वजह से  कुछ  लोग हिन्दू धार्मिक स्थल पर जाना पसंद नहीं करते, ऐसा मेरा मानना है। वहा पर सिर्फ मेरा परिवार ही नहीं था, वल्कि काफी लोग थे जो मुंडन करने आये थे उनलोगों में {बाल काटने वाले नाइ ) और यात्री में बिवाद हो रही थी, मुझे तो लगता है की जो लोग गरीब है उन्हें तारकेश्वर जैसी जगह जाने की हिम्मत ही नहीं उठा पाते होंगे इन नकली पोंगा पंडित और चंद दलालों की वजह से ।
सपरिवार पूजा देने के लिए (तारकेश्वर)
मंदिर की अपनी एक संस्था है और सभी क्रियाकलापों की सभी रेट (मसलन बाल कटना,पूजा देना भोग लगाना, इत्यादि चीजो) तय की गई है, फिर भी उनलोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें तो किसी भी तरह से आये हुए लोगो से रूपए ऐंठना होता है। ऐसे लोगो की वजह से कई लोगो को परेशानी की सामना करना पड़ता है, पर उनको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मेरा एक बहुत ही करीबी मित्र श्री जित्तेंद्र गुप्ता जी जो की वहा (स्टेशन में) बुकिंग कलर्क है और लोगो को टिकिट देते है, जब मैंने ये बात उन्हें बताई तो उन्होंने कहा की आप तो फिरभी बच गए कुछ लोग तो पूरी तरह से उन्हें लूट लेते है और टिकिट खरीदने की पैसा उनके पास नहीं होती, तो कई बार वो अपनी जेब से दे देते है और कई बार यात्रिओ को बिना टिकिट ही घर जाना पड़ता है ।
मेरा यह ब्लॉग लिखने का उद्देश्य किसी तीर्थस्थल की बुराई बताना नहीं है अपितु कुछ भ्रष्ट व्यक्तियों के कारण हमारी (हिन्दू धर्म की) जो छबी खराब हो रही है उन्हें दर्शाना है ।
एक भला दूकानदार
इन सब के अलावा मुझे चंद लोग एसे भी मिले जो जरुरत पड़ने पड़ मेरे परिवार की काफी मदद की वो भी बिना कुछ उम्मीद किये मै उनका काफी आभारी रहूँगा। उनलोगों में से एक की मै फोटो प्रकाशित कर रहा हु जो की एक दुकानदार है। 
मुझे लगता है की आज भी चंद लोगो की व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि की वजह से हिन्दू धर्म की बदनामी हो रही है, इसे भी हमें पहल करनी चाहिए। 
और यह समस्या सिर्फ बंगाल की नहीं अपितु पुरे भारत देश की है, मै देश की सारी मंदिरों की बात नहीं कर रहा हु, लेकिन जो मंदिर जीतनी पुरानी
और प्रसिद्ध है लगभग सभी जगहों का एक सा आलम है, पोंगी पंडितो की कमी नहीं है ये लोग भगवान को ज्यादा से ज्यादा रूपए की भोग लगाने की बात करते है और कई बार तो कुछ लोग मेरी तरह बिना भोग लगाये हुए भी आजाते है, जैसे कि ज्यादा पैसे से भोग लगाने से भगवान् ज्यादा सुनता हो या भक्तो को मोक्ष जल्दी मिलता हो...। 
इन सबो के अलावा एक और बात मैंने देखी हमारी बनिया समाज दान पुण्य में काफी विश्वाश रखते है, और अपनी धर्म को अच्छी तरह से निभाते भी है मैंने ऐसे कई पत्थर मंदिरों कि दीवारों में लगे हुए देखे जो लगभग १०० साल की है जिसमे हमारी जाति( बनिया) का काफी योगदान रहा है, अथ: ये बात तो तय है हम लोग अपनी धर्म जरुर निभाते है और कुछ पोंगा पंडित जो सायद सुधरने वाले नहीं है उनसे भी लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ता  लोग अपनी धर्म जरुर करते है।
मुझे ऐसा लगता है मंदिर परिसर के अन्दर(किसी भी) अगर managment अगर ठीक हो जाए तो धार्मिक यात्री या लोगो में भी वृद्धी होगी और लोग वहा जाना भी पसंद करेंगे।
मेरे इस लेख के बारे में अगर आप अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहते है तो कृपया जरुर दे मुझे ख़ुशी होगी ।

2 टिप्‍पणियां:

Thanks For Your valuable Comment.